शनिवार, 25 अप्रैल 2009

हे नक्सली भाई- आप चाहते क्या हैं?



नक्सलवाद! क्या है नक्सलवाद? कैसा है नक्सलवाद? मौत का दहशत, विध्वंस की नुमाइश या फिर कुछ और........! बात कब की है यह याद नहीं, पर मेरे एक मित्र ने उदाहरण के द्वारा नक्सलवाद को परिभाषित करने की कोशिश की थी। मेरे मित्र ने बताया कि एक बार एक नक्सलवादी संगठन के सदस्य किसी गाँव में रूके काॅमरेड ने अपने साथी से खाने के लिए कुछ इंतजाम करने को कहा. वह साथी गाँव के किसी घर में जाकर कुछ मुर्गा उठा लाया. काॅमरेड को इस बात की जानकारी मिली, तो उसने अपने साथी को बहुत डाँटते हुए कहा, -हम लोग जिस लूट-पाट के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं, अगर हम भी वही करेंगे, तो उनमें और हममें फर्क क्या है. और फिर काॅमरेड ने अपने साथी के द्वारा मुर्गे का दाम भिजवा दिया. क्या यह असल नक्सलवाद है या फिर आज जो हो रहा है वह? अभी तक क्या हुआ और क्या हो रहा है. उसको कुछ देर के लिए किनारे रख देेते हैं और बात करते हैं चुनाव बहिष्कार की. चुनाव एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया है. कल के दिन में यदि आप भी इस प्रक्रिया में शामिल होते हैं, तो आपको भी इसी दौर से गुजरना होगा. पर आप तो खूनी क्रांति से सत्ता मंे बैठ कर सरकार चलाना चाहते हैं. इस बंदूक की नोक पर आप जनता को क्या देंगे? क्या आप बंदूक की नोक पर मँहगाई रोक सकते हैं. बाजार चला सकते हैं. जनता को सुख-सुविधा दे सकते हैं? आप क्या देंगे? आप तो जनता को चैन से रहने भी नहीं देते. जब देखो तब शौकिया बंद का आयोजन करते हैं. आप बताइए कि इससे किसको कितना नुकसान होता है? बंद का मतलब आवागमन बंद और दूर-दराज की दुकानें बंद. इसके सिवा और क्या है, आप ही बताइए न! चुनाव के दो दौर खत्म हो चुके हैं आप चुनाव को रोक नहीं सके. हाँ कुछ जगहों पर आपकी मनमानी चली. एक घटना का जिक्र करता हूँ. एक बूथ पर ग्रामीण आते हैं और पीठासीन अधिकारी कहते है कि हम लोग वोट, तो दंेगे पर नक्सलियों ने कहा कि वोट देने पर हाथ काट देंगे. यदि आप ऊँगली स्याही नहीं लगायेंगे, तो हम लोग वोट देंगे. फिर उस पीठासीन अधिकारी ने सबों से मतदान करवाया और स्याही को जंगलों में फेक दिया. यह एक उदाहरण है, जो दर्शाता है कि दहशत से लोकतंत्र की प्रक्रिया को बाधित तो की जा सकती है, लेकिन उसे रोका नहीं जा सकता. आप चुनाव का वहिष्कार करते हैं. ठीक है आप कीजिए आप को रोका कौन है, पर आप बतलाइए कि अपनी बात मनवाने के लिए आपने रेलवे स्टेशन को ध्वस्त कर दिया. अब आप बतलाइए कि उस रेलवे स्टेशन का चुनाव वहिष्कार से क्या नाता है. उस रेलवे स्टेशन का उपयोग कौन करता है. इसका जवाब आप को ही देना है. चुनाव प्रक्रिया में जवान और कर्मचारी लगे होते है, वो अपनी ड्यूटी निभाते हैं, क्या गलत करते हैं. जरा आप बताइए. आप के जवान को यदि आप ड्यूटी पर लगायें, तो क्या वह ड्यूटी करेगा या भाग जायेगा? आदेश का पालन करना धर्म होता है. अगर वह अपना धर्म निभाता है, तो आप उसे बारूदी सुरंगों से ऊड़ा देते हैं? कभी एकांत में सोच कर बताइएगा कि धर्म निभाने वाले को आप किस बात की सजा देते हैं? आप सड़कंें, पुल बनने नहीं देते स्कूल, पंचायत भवन ऊड़ा देते हैं इस तरह आप गाँव का विकास चाहते हैं. आप गरीबों के खेवनहार हैं और आप ही गरीबों की नाव में छेद कर देते हैं. कभी अकेले में बैठ कर सोचिएगा कि आप विकास की कौन सी धारा लागू करना चाहते हैं? क्या तालिबानी संस्कृति या फिर देश को गुलाम देश के उस दौर में ले जाना चाहते हैं, जहाँ गरीबों पर जूल्म ढाये जाते थे, कोड़े बरसाये जाते थे, कभी मौका मिले, तो सोच कर देखियेगा......
विजय रंजन

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