शुक्रवार, 24 अप्रैल 2009

उपनयन संस्कार


बालक जब किशोरावस्था में प्रवेश करने लगता है तो उसे जनेऊ के माध्यम से संस्कारित किया जाता है। इसे यज्ञोपवीत तथा उपनयन संस्कार भी कहा जाता है। यह प्रथा ज्यादातर बिहार तथा झारखंड के ब्राह्मण तथा राजपूत जातियों में प्रचलित है। इस मौके पर महिलाएँ लोकगीत भी गाती हैं। 1 पृथ्वी पर खड़ा भेलो वरुवा जनौवा-जनौवा बोले हे.......... केयो छेको पृथ्वी के मालिक जनौवा पहिरायतो हे......... पृथ्वी के मालिक हे सूरुज देव छिक, हुनी उठी बोलै हे हम छिक पृथ्वी के मालिक जनौवा पहिरायब हे.......... पृथ्वी पर खड़ा भेलो जे वरुवा जनौवा-जनौवा बोले हे...... 2 दशरथ के चारो ललनवा मण्डप पर शोभे दशरथ के चारो ललनवा मण्डप पर शोभे..... कहां शोभे मुंज के डोरी, कहां शोभे मृग के छाला कहां शोभे पियरी जनौवा , मंडप पर शोभे दशरथ के चारो ललनवा मण्डप पर शोभे........ हाथ शोभे मुंज के डोरी, कमर मृग छाला देह शोभे पियरी जनौवा, मंडप पर शोभे दशरथ के चारो ललनवा मण्डप पर शोभे। लेखक :-प्रीतिमा वत्स

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