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रविवार, 10 अप्रैल 2011

हिंदी की राजनीति और आदिवासी साहित्य




10 अप्रैल रविवार 2011 को रांची में
'हिंदी की राजनीति और आदिवासी साहित्यविषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी
10 अप्रैल रविवार 2011 को रांची में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं आदिवासी साहित्यकार सम्मान समारोह का आयोजन होगा। 'हिंदी की राजनीति और आदिवासी साहित्यविषय पर आयोजित इस समारोह में झारखंड सहित कई राज्यों के झारखंडी साहित्यकार जुटेंगे। वर्ष 2010 के केन्द्रीय साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित संताली नाटककार श्री भोगला सोरेन आयोजन के मुख्य अतिथि जबकि साहित्य अकादमी से ही बाल साहित्य के लिए सम्मानित बोयहा विश्वनाथ टुडूनिर्मला पुतुल एवं जनजातीय एवं क्षेत्राीय भाषा विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. कुमारी वासंती विशिष्ट अतिथि होंगे। यह आयोजन आदिवासी एवं क्षेत्राीय साहित्यकारों के प्रमुख संगठन झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा की ओर से किया जा रहा है।

अखड़ा की महासचिव वंदना टेटे ने बताया कि ग्लोबलाइजेशन के दौर में झारखंडी अस्मिता का संकट पहले से और गहरा हो गया है। झारखंड की सभी आदिवासी एवं क्षेत्राीय भाषाएं विलुप्ति के कगार पर हैं। राष्ट्रभाषा हिंदी अभी भी औपनिवेशिक गुलामी की मानसिकता से जूझ रही है। हिंदी के साहित्यकार मठाधीश बनकर आदिवासी एवं क्षेत्राीय भाषा-साहित्य और उसकी अस्मिता के साथ भेदभाव कर रहे हैं।