ब्लागिंग का आकर्षण दिनों-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। जहाँ वेबसाइट में सामान्यतया एकतरफा सम्प्रेषण होता है, वहीं ब्लाॅग में यह लेखकीय-पाठकीय दोनों स्तर पर होता है। ब्लाॅग सिर्फ जानकारी देने का साधन नहीं, बल्कि संवाद का भी सशक्त माध्यम है। ब्लाॅगिंग को कुछ लोग खुले संवाद का तरीका मानते हैं, तो कुछेक लोग इसे निजी डायरी मात्र। ब्लाॅग को आॅक्सफोर्ड डिक्शनरी में कुछ इस प्रकार परिभाषित किया गया है-‘‘एक इंटरनेट वेबसाइट, जिसमें किसी की लचीली अभिव्यक्ति का चयन संकलित होता है और जो हमेशा अपडेट होती रहती है।‘‘ वर्ष 1999 में आरम्भ हुआ ब्लाॅग वर्ष 2009 में 10 साल का सफर पूरा कर चुका है। गौरतलब है कि पीटर मर्होत्ज ने 1999 में ‘वी ब्लाॅग‘ नाम की निजी वेबसाइट आरम्भ की थी, जिसमें से कालान्तर में ‘वी‘ शब्द हटकर मात्र ‘ब्लाॅग‘ रह गया। 1999 में अमेरिका में सैनफ्रांसिस्को में इण्टरनेट में ऐसी अनुपम व्यवस्था का इजाद किया गया, जिसमें कई लोग अपनी अभिव्यक्तियाँ न सिर्फ लिख सकें बल्कि उन्हें नियमित रूप से अपडेट भी कर सकें। यद्यपि कुछ लोग ब्लाग का आरम्भ 1994 से मानते हैं, जब एक युवा अमेरिकी ने अपनी अभिव्यक्तियाँ नियमित रूप से अपनी वेबसाइट में लिखना आरम्भ किया, तो कुछ लोग इसका श्रेय 1997 में जान बारजन द्वारा आरम्भ की गई वेबलाग यानी इण्टरनेट डायरी को भी देते हैं। ब्लाॅग की शुरुआत में किसी ने सोचा भी नहीं था कि एक दिन ब्लाॅग इतनी बड़ी व्यवस्था बन जायेगा कि दुनिया की नामचीन हस्तियाँ भी अपने दिल की बात इसके माध्यम से ही कहने लगेंगी। आज पूरी दुनिया में 13.3 करोड़ से ज्यादा ब्लागर्स हैं तो भारत में लगभग 32 लाख लोग ब्लागिंग से जुड़े हुए हैं। इनमें करीब 12 हजार हिन्दी ब्लाॅगर हैं। ब्लाॅगिंग का क्रेज पूरे विश्व में छाया हुआ है। अमेरिका में सवा तीन करोड़ से ज्यादा लोग नियमित ब्लाॅगिंग से जुड़े हुए हैं, जो कि वहाँ के मतदाताओं का कुल 20 फीसदी हैं। इसकी महत्ता का अन्दाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2008 में सम्पन्न अमरीकी राष्ट्रपति के चुनाव के दौरान इस हेतु 1494 नये ब्लाग आरम्भ किये गये। तमाम देखों के प्रमुख ब्लागिंग के माध्यम से लोगों से रुबरु होते रहते हैं। इनमें फ्रांस के राष्ट्रपति सरकोजी और उनकी पत्नी कार्लाब्रुनी से लेकर ईरान के राष्ट्रपति अहमदीनेजाद तक शामिल हैं। भारत में राजनेताओं में लालू प्रसाद यादव, लाकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला तो फिल्म इण्डस्ट्री में अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, आमिर खान, मनोज बाजपेयी, प्रकाश झा, शिल्पा शेट्टी, सेलिना जेटली, विक्रम भट्ट, अक्षय कुमार, अरबाज खान इत्यादि के ब्लाग मशहूर हैं। साहित्य व पत्रकारिता से जुडे़ तमाम नाम-उदय प्रकाश, गिरिराज किशोर, विष्णु नागर, पुण्य प्रसून वाजपेयी, रवीश कुमार, आलोक पुराणिक, अशोक चक्रधर, सुरेन्द्र किशोर, गीता चतुर्वेदी, कुमार अम्बुज, पंकज चतुर्वेदी, गिरीष कुमार मौर्य, मनीषा, प्रत्यक्षा, प्रतिभा कटियार, सूरज प्रकाश, लाल्टू, प्रियदर्शन, अखिलेश कुमार मिश्र ‘बोधिसत्व‘, योगेन्द्र मौद्गिल इत्यादि अपने ब्लाग के माध्यम से पाठकों से नित्य रुबरु हो रहे हैं। प्रशासन के साथ-साथ साहित्य में दिलचस्पी रखने वाले प्रशासनिक अधिकारी भी ब्लाॅगिंग में जौहर दिखा रहे हैं। इनमे विभूति नारायण राय, कृष्ण कुमार यादव ;‘‘शब्द सृजन की ओर’, कमलेश भट्ट कमल ;‘‘शंख सीपी रेत पानी’’, अरविंद कुमार जैसे नाम चर्चा में लिये जा सकते हैं। सेलिबे्रटी के लिए ब्लाग तो बड़ी काम की चीज है। परम्परागत मीडिया उनकी बातों को नमक-मिर्च लगाकर पेश करता रहा है, पर ब्लागिंग के माध्यम से वे अपनी वस्तुस्थिति से लोगों को अवगत करा सकते हैं। ब्लागिंग का दायरा परदे की ओट से भी बाहर निकल रहा है। कामकाजी महिलाओं के साथ-साथ गृहिणियां भी इसमें खूब हाथ आजमा रही हैं। चोखेरबाली एवं नारी जैसे ब्लाॅगों पर नारियों से जुड़े मुद्दों पर जमकर बहस हो रही है। तमाम कम्युनिटी ब्लाग लोगों की बातों को समाज के समक्ष रखने के माध्यम बन चुके हैं-मोहल्ला, भड़ास, युवा, नुक्कड़, चिट्ठा चर्चा, हिन्दोस्तान की आवाज इत्यादि। रचनाकार, हिन्दयुग्म, साहित्य शिल्पी, सार्थक सृजन, हिन्दी साहित्य मंच, नई कलम-उभरते हस्ताक्षर जैसे ब्लाग साहित्यिक रचनाधर्मिता को बखूबी बढ़ावा दे रहे हैं। ‘‘हिन्दी ब्लाग टिप्स‘‘ पर तमाम नुस्खे हैं तो ‘‘माँ‘‘ ब्लाग माँ से जुड़ी रचनाओं को प्रस्तुत कर रहा है। जब मम्मी-पापा ब्लागिंग कर रहे हों, तो बच्चे भला कैसे पीछे रहें। अब बच्चों के लिए भी तमाम ब्लाग सुन्दर रचनायें प्रस्तुत कर रहे हैं-बाल-उद्यान, बाल-मन, बाल सजग, नन्हा मन, नन्हं मुन्हें, फुलबगिया इत्यादि। स्वयं बच्चे भी ब्लाॅगिंग में कूद पड़े हैं, देखिये न-पाखी की दुनिया, आदित्य इत्यादि। आई0टी0 वालों की तो छोड़िए, यहाँ प्राइमरी का मास्टर और डाकिया बाबू भी ब्लाॅगिंग कर रहे हैं। खेती-बाड़ी भी ब्लाॅग पर है। यदुवंशियों से जुड़ा यदुकुल ब्लाग और दलितों से जुड़ा दलित मत ब्लाग भी चर्चित है। यानी कि नेता, अभिनेता, प्रशासक, सैनिक, खिलाड़ी, पत्रकार, बिजनेसमैन, डाक्टर, इंजीनियर, शिक्षक, साहित्यकार, कलाकार, विद्यार्थी से लेकर बच्चे, युवा, वृद्ध, नारी-पुरुष व किन्नर तक ब्लाॅगिंग में हाथ आजमा रहे हैं। ‘‘युवा‘‘ ब्लाग ने तो बकायदा ऐसे ब्लागर्स की सूची ही साइड में दे रखी है। ब्लागिंग का एक बहुत बड़ा फायदा प्रिंट मीडिया को हुआ है। अब उन्हें किसी के पत्रों एवं विचारों की दरकार महसूस नहीं होती। ब्लाग के माध्यम से वे पाठकों को समसामयिक एवं चर्चित विषयों पर जानकारी परोस रहे हैं। तमाम पत्र-पत्रिकाएं तो कट-पेस्ट तकनीक का उपयोग भी बखूबी कर रही हैं फिलहाल, इस मुद्दे पर तो सभी सहमत होंगे कि प्रिंट मीडिया ब्लागरों की महत्ता को समझने लगा है और ब्लागों की चर्चा प्रिंट मीडिया में जमकर होने लगी है। हिन्दुस्तान, अमर उजाला, आई नेक्स्ट, राष्ट्रीय सहारा, दस्तक, हरिभूमि, गजरौला टाइम्स, आज समाज इत्यादि जैसे अखबारों और तमाम प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिकाओं ने भी नियमित रूप ब्लागों की चर्चा आरम्भ कर दी है। इसी क्रम में ‘‘प्रिंट मीडिया पर ब्लाग चर्चा‘‘ नाम से एक ब्लाॅग ने इन सब को सहेजना भी आरंभ कर दिया है। हर पत्र-पत्रिका हमारी निगाहों से गुजर तो नहीं सकती पर इस ब्लाग के चलते इतनी आसानी अवश्य हो गई है कि बैठे-बैठे पता लग जाता है कि अपने ब्लाग और अन्य ब्लागों की चर्चा कहाँ-कहाँ हो रही है। सबसे खशी की बात तो यह है कि ब्लागरों के सुख-दुःख को बाँटने वाले ब्लाग भी अस्तित्व में आ चुके हैं। ‘‘हिन्दी ब्लागरों के जन्मदिन‘‘ पर लोगों के जन्मदिन व सालगिरह की खूब चर्चायें हो रही हैं। पत्र-पत्रिकाओं के नये अंकों की चर्चा ‘‘कथाचक्र‘‘ में देखी जा सकती है तो पर्व-त्यौहार ‘‘उत्सव के रंग‘‘ में रंग बिखेर रहे हैं। शब्दों का सफर, शब्द श्खिर, शब्द सृजन की ओर, उड़न तश्तरी, मल्हार, मेरी भावनाएं, नीरज, लावण्यम्-अन्तर्मन, शब्दकार, नवसृजन, हारमोनियम इत्यादि तमाम ब्लाग शब्दों के रंग बिखेर रहे हैं। ब्लाग के माध्यम से समाज का सुख-दुःख भी बाँटा जा सकता है। कई बार प्राकृतिक आपदाओं इत्यादि के समय सहायता के लिए ब्लाग का इस्तेमाल किया जाता है। कोई ब्लाॅगर ‘‘ज्योतिष की सार्थकता‘‘ और ‘‘गत्यात्मक ज्योतिषी‘‘ की बात कर रहा है तो साइंस ब्लागर्स एसोसिएशन विज्ञान को बढ़ावा दे रहा है। कार्टून से लेकर पेटिंग तक ब्लाॅग पर दिख रही हैं। पर जो भी हो ब्लागिंग की दुनिया ने लोगों को एक ऐसा मंच मुहैया कराया है जहाँ वे बिना किसी खर्च और बंदिश के अपनी बात कह सकते हैं। ऐसे ही तमाम भाव हैं, जो ब्लाॅगिंग की दुनिया में देखे-सुने जा सकते हैं। पर इसी की आड़ में तमाम नकारात्मक लोग भी ब्लाॅगिंग से जुड़ रहे हैं। ऐसे में अपनी किसी निजी बात या निजी जानकारी मसलन ईमेल, पता, फोन नम्बर को शेयर करना खतरनाक भी होसकताहै। ब्लाॅग सिर्फ राजनैतिक साहित्यिक सांस्कृतिक, कला, सामाजिक गतिविधियों के लिए ही नहीं जाना जाता बल्कि, तमाम काॅरपोरेट ग्रुप इसके माध्यम से अपने उत्पादों के संबंध में सर्वे भी करा रहे हैं। वास्तव में देखा जाय तो ब्लाॅग एक प्रकार की समालोचना है, जहाँ पाठक आपके गुण-दोष दोनों को अभिव्यक्त करते हैं। आज ब्लाॅग परम्परागत मीडिया का एक विकल्प बन चुका है। ब्लागर (blogger.com),
- (www.wordpress.com) rFkk (www.myspace.com) की दुनिया में चर्चित नाम हैं। ब्लाग.काम, बिगअड्डा, माई वेब दुनिया, याहू (याहू 360) , रेडिफ (आईलैण्ड), माइक्रोसाफ्ट (स्पेसेज), टाइपपैड, पिटास, रेडियो यूजरलैंड इत्यादि भी ब्लाॅगिंग की सुविधा उपलब्ध कराते हैं। आज ट्विटर द्वारा 140 शब्दों तक माइक्रो-ब्लाॅगिंग भी की जा रही है। ऐसे में कोई भी नेट यूजर आसानी से ब्लाॅगिंग आरम्भ कर सकता है और अपनी अभिव्यक्तियों को सूचना-संजाल के इस दौर में हर किसी तक पहुँँचा सकता है।
- प्रवक्ता,
- राजकीय बालिका इण्टर कालेज, नरवल, कानपुर-209401
काफी अच्छी जानकारी मिली. उम्दा लेख के लिए बधाई.
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